7 दिस॰ 2020

MSP क्या है जानिए।

what is MSP
MSP का शाब्दिक अर्थ Minimum Support Price यानि समर्थन मुल्य है इसमें सरकार की तरफ से किसानों को उनकी कुछ फसलों के दाम की गारंटी देती है। यानि फसल आने से पहले ही हर साल कृषि मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली संस्था कृषि लागत और मूल्य आयोग अलग-अलग फसलों का मूल्य तय करती है। इसमें रबी और खरीफ की फसल शामिल होती है। आजादी के बाद जब किसानों ने फसलों की बंफर पैदावार की तो उन्हें उनकी फसल का उचित दाम न मिलने के कारण आंदोलन करने लगे और तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल में 1 अगस्त 1964 में LK Jha के नेतृत्व में एक समिति बनी जिसने अनाजों का मूल्य तय किया। 1966 से 1967 के बीच पहली बार गेहू पर MSP तय हुआ।इसमें किसानों को तय MSP पर ही मंडी में फसल बेचना होती है बाजार में भले ही उस फसल का मूल्य कम हो या अधिक। अक्सर देखा गया की छोटे किसान MSP का लाभ नहीं ले पाते है और बिचोलिये इन किसानों से फसल खरीदकर MSP का लाभ लेते है। सरकार द्वारा एमएसपी पर खरीदी गई फसलों का बफर स्टॉक बनाया जाता है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली ( PDS ) के लिए किया जाता है।इसके आलावा जब किसी अनाज की मांग ज्यादा हो जाती है तो सरकार उस अनाज को बफर स्टॉक से निकालकर खुले बाजार में कम कीमत में बेचकर उस फसल की कीमत काबू में करती है।
वर्तमान में भारत सरकार कुल 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर रही है। जिसमे अनाज की 7 ,दलहन की 5 , तिलहन की 7और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है।

MSP में शामिल फसलें 

 एमएसपी में शामिल फसलें जैसे - धान ,गेहू ,मक्का ,जौ ,बाजरा ,चना ,तुअर ,मुंग ,उड़द ,मसूर ,सरसों ,सोयाबीन ,सूरजमुखी ,गन्ना , कपास और जूट जैसी फसलों को शामिल किया गया।

किसान आंदोलन 2020

किसान आंदोलन कर रहे है क्योकि उन्हें ये डर है की सरकार धीरे-धीरे नए कृषि कानून लाकर MSP को खत्म कर देंगी। क्योकि कई कमेटियों और सरकार ने सरकारी खरीद घटाने की सिफारिशें पहले ही कर रखी है।इसके आलावा उन्हें यह भी डर है की निजी कंपनियों पर उनकी निर्भरता बढ़ेगी और वे मनमाने कीमत पर ( कम कीमत में ) हमारी फसल खरीदेगी।हालांकि केंद्र सरकार ने साफ किया है की नए कानून से MSP पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। और MSP पहले की तरह आगे चलती रहेगी।किसान फिर भी MSP पर कानून बनाने और तीन नये कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे है।
 
किसानों के आंदोलन के बारे में आपकी राय क्या है हमें नीचे कमेंट बॉक्स में Comment कर बताये।       

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