राम मंदिर विवाद का इतिहास
हिन्दुओं का सबसे बड़ा और प्रसिंद्ध मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था जो की उत्तर प्रदेश में है। ऐसा कहा जाता है कि 1528 ई. में मुग़ल बादशाह के कमांडर मीर बाकी ने हिन्दू मंदिरों को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था।1885 में महंत रघुवीर दास ने मंदिर निर्माण के लिए फैजाबाद कोर्ट में याचिका दायर की किन्तु वहाँ के जिला जज के. के. नायर ने मंदिर बनाने की जगह वहां ताला ( Lock ) लगवा दिया।और 1986 में फैजाबाद कोर्ट ने राम मंदिर पूजन की अनुमति दी और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने ही 1986 में राम मंदिर का ताला खुलवाया और 1989 में राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास करवाया था। स्वतंत्र भारत में पहला मुकदमा गोपाल सिंह विशारद ने 16 जनवरी 1950 में फैजाबाद कोर्ट में दायर किया। क्योकि उन्हें 14 जनवरी 1950 को श्री राम के दर्शन करने से रोक दिया गया था। बाबरी मस्जिद जिसे 6 दिसंबर 1992 को ढहाया गया।इस प्रकार अयोध्या में राम मंदिर विवाद करीब 500 सालो से चल रहा। आजाद भारत में राम मुद्दे को लेकर कई राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीता करती थी। वर्ष 2011 में इलाहबाद हाई कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड ,रामलला विराजमान और निर्मोही अखाडा के बीच विवादित भूमि को बराबर हिस्सों में बाटने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। 16 अक्टुंबर 2019 को सुनवाई पूरी कर सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर 2019 को हिन्दू पक्ष के निर्मोही अखाडा और राम विराजमान को 2.77 एकड़ भूमि पर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया और मुश्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन अयोध्या में ही देने का निर्णय दिया गया।
राम मंदिर शिलान्यास 2020
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को फिर से राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया।
नरेंद्र मोदी 28 साल बाद रामलला के दर्शन करने आये इससे पहले वह 1991 में मुरली मनोहर जोशी के साथ आये थे।लाल कृष्णा अडवाणी की सोमनाथ गुजरात से अयोध्या की रथ यात्रा में शामिल हुए थे।राम मंदिर भूमि पूजन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जैसे -
- 100 से ज्यादा पवित्र नदियों का पानी भूमिपूजन में इस्तेमाल किया गया।
- 31 साल पुरानी 9 शिलाओं से रखी गई राम मंदिर की नीव।
- बबूल से बने पात्र में नौ रत्न रखे गए।
- नांग नागिन का जोड़ा और चाँदी के कलश भूमिपूजन कुंड में रखे गए।
- प्रधान मंत्री खुद चाँदी का छोटा कलश लेकर आये थे।
- नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले संसद की चौखट पर साष्टांग दंडवत प्रणाम किया और दूसरी बार अयोध्या में श्री राम के सम्मुख साष्टांग प्रणाम किया।
- प्रधानमंत्री ने राम जन्म भूमि परिसर में पारिजात का दिव्य पौधा लगाया ,ऐसी मान्यता है कि इस पेड़ को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकन मिट जाती है।
जाने हनुमानगढ़ी की कहानी
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 100 किमी दूर स्थित टीले पर बसा अयोध्या का प्रमुख मंदिर हनुमानगढ़ी है जहा बालहनुमान की 6 इंच की प्रतिमा है। साथ ही माता अंजनी की भी प्रतिमा है। हनुमान के दर्शन के लिए 76 सीढ़िया चढनी पड़ती है यहाँ मंदिरों के चारो तरफ दीवारों पर हनुमान चालीसा की चोपाई लिखी हुई है। एक मान्यता वनवास से वापस आने के बाद प्रभु श्री राम ने इस स्थान पर हनुमान जी को रहने के लिए जगह दी और वरदान दिया की श्री राम के दर्शन से पहले हनुमान के दर्शन करना जरुरी है। एक और मान्यता है की हनुमानगढ़ी को अवध के नवाब शुजाउद्दोला ने बनवाया था।
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