लड़कियां हमारा भविष्य है। पूरीदुनिया में लड़का और लड़कियों में भेदभाव किया जाता है लड़कियों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है हमारे समाज में कई लोग लड़कियों को पराया समझ कर उन्हें अच्छी शिक्षा ,स्वास्थ्य और उनके मुलभुत अधिकारों से वंचित किया जाता है जबकि लड़किया ही हमारा भविष्य होती है। समाज में आज भी लड़कियों की भ्रूण हत्या होती है जो हमारे भविष्य को अंधकार की ओर ले जाते है। इसलिए लड़कियों को उनके अधिकारों की रक्षा और समाज में लड़कियों को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को International Girls Child Day मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2012 में सयुक्त राष्ट्र द्वारा हुई थी। भारत में भी लड़कियों के सम्मान की रक्षा के लिए कई योजनाए बनाई गई है जिनमे " बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ "एक उल्लेखनीय योजना है। भारत में भी हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रिय बालिका दिवस मनाया जाता है।इस दिन सयुक्त राष्ट्र द्वारा एक थीम दी जाती हो इस वर्ष यानि 2020 की थीम - " हमारी आवाज और समान भविष्य " ( My Voice,Our Equal Future ) इसका मतलब है की आज की लड़किया कैसे हमारे भविष्य को मार्ग दिखा रहे।
बेटियों के प्रति समाज का रवैया
हमारे समाज में आज भी बेटियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है जैसे दहेज़ प्रथा ,उत्पीड़न ,घरेलु हिंसा ,गेंग रेप ,बालिका भ्रूण हत्या आदि घटनाएं होती है।समाज में आज भी ऐसे लोग है जो बेटियों को बोझ समझते है। उन्हें पराया धन समझ कर उन्हें शिक्षा और स्वस्थ्य से वंचित रखा जाता है।परिवार में उन्हें लड़कों से कम इज्जत दी जाती है।विश्व में आज भी 3 मे से 1 महिला शारीरक और यौन हिंसा की शिकार होती है। 60 % देश आज भी महिलाओं को विरासत में मिली चल या अचल सम्पति के मामले में भेदभाव करते है। और समाज में बेटियों के प्रति जागरूपता फैलाने के लिए कई फिल्म बनाई गई जिसमे अमीर खान अभिनीत " दंगल " सबसे उल्लेखनीय फिल्म है।बेटी है स्वर्ग की सीढ़ी वह पढ़ेगी ,तो बड़ेगी अगली पीढ़ी।
बेटी है कुदरत का उपहार जीने दो उनको ,और दो उनके अधिकार।
माँ चाहिए बहन चाहिए पत्नी चाहिए तो फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए।
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