आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में आर आर वेंकटपुरम गांव में LG पॉलीमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्लांट में बुधवार 6 मई 2020 को रात 3.30 बजे स्टायरिन गैस के रिसाव के कारण वहां काम कर रहे 11 लोगो को दम घुटने ,आँखों में जलन,त्वचा में जलन और उल्टी के कारण मौत हो गई है और 1000 से ज्यादा लोगो को विशाखापट्टनम के किंग जॉर्ज अस्पताल में भर्ती कराया गया।प्लांट के आस-पास के 3 किलोमीटर के दायरे में गावों को खाली कराया गया आंध्रप्रदेश मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने मृत लोगों को 1 करोड़,वेंटिलेटर पर व्यक्तियों को 10 लाख और सामान्य घायल लोगो को एक एक लाख देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री को फोन कर दुःख जताया और मदत करने को कहा। विशाखापट्टनम गैस रिसाव भोपाल गैस कांड की याद दिला दी है। भोपाल गैस कांड के बाद यह दूसरा गैस कांड है।
स्टाइरीन गैस क्या है ?
स्टाइरीन गैस जहरीली और हवा में तेजी से फैलती है। यह रंगहीन हल्का पीला ज्वलनशील लिक्विड होता है इसकी गंध मीठी होती है इसे स्टाइरोल और विनाईल बैंजीन भी कहा जाता है। बैंजीन और एथिलीन के जरिये इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन कर फ्लोरिन ,प्लास्टिक रबर ,प्लास्टिक के सामान सिंथेटिक मार्बल ,डिस्पोजेबल सामान और पाईप बनाने में उपयोग किया जाता है। स्टाइरोल हवा ,रोशनी और गर्मी के संपर्क में आने पर कठोर रबर में बदल जाता है।
एल जी पॉलीमर कंपनी का इतिहास
स्टाइरीन की खोज जर्मन वैज्ञानिक एड्वर्ड साइमन ने 1839 में एक पेड़ से स्टाइरोल के नाम से की। थी इस कंपनी को 1961 में हिंदुस्तान पॉलिमर नामक कंपनी ने शुरू किया था तभी से इस कंपनी में प्लास्टिक के उत्पाद जैसे - फ़ूड पैकेज के सामान और दूसरे कई प्लास्टिक के सामान का उत्पादन होता है।यह कंपनी श्रीराम ग्रुप का एक हिस्सा थी 1978 में इस कंपनी का विलय नड्डा विलेन कंपनी में हुआ ये UV ग्रुप का हिस्सा थी जो की विजय मल्ल्या के सन्दर्भ में थी। उसके बाद 1997 में इस प्लांट को दक्षिण कोरिया की कंपनी LG Chem ने इसे खरीद लिया और इसे LG पॉलीमर कंपनी के नाम से चलाने लगे।
स्टाइरीन गैस के दुष्प्रभाव
स्टाइरीन गैस उतनी जहरीली नहीं होती है जीतनी भोपाल गैस कांड में निकली मिथाइल आईसोसाइनाइड। इसकी मात्रा शरीर में जाने से साँस लेने में परेशानी ,आँखों में जलन की शिकायत ,त्वचा में जलन ,छाती में जलन ,मांशपेशियां कमजोर ,लकवा मारना उल्टी की शिकायत और नर्वस सिस्टम पर पड़ता है व्यक्ति बेहोश हो जाते है साँस के जरिए शरीर में जाने के 10 मिनट में असर दिखाने लगती है।
भोपाल गैस कांड | विशाखापट्टनम गैस रिसाव |
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1. भोपाल गैस कांड 3 दिसम्बर 1984 को हुआ था। | 1. विशाखापट्टनम गैस रिसाव 6 मई 2020 को हुआ। |
2. यूनियन कार्बाइट फैक्ट्री से गैस लीक हुई थी। | 2. LG पॉलीमर फैक्ट्री से गैस का रिसाव हुआ। |
3. 5 लाख से अधिक लोग गैस लीक की चपेट में आये थे। | 3. गैस रिसाव से एक बच्चा सहित 11 लोगो की मौत हुई। |
4. मिथाईल आईसोसाइनाइड गैस लीक हुई थी। | 4. स्टाइरीन गैस का रिसाव हुआ। |
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